शाम ढलने से पहले चराग हमने
बुझा दिए. . . .
तुझसे ही सिखा है यूँ
दिलो में अँधेरा करना..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
शाम ढलने से पहले चराग हमने
बुझा दिए. . . .
तुझसे ही सिखा है यूँ
दिलो में अँधेरा करना..
बिन धागे की सुई सी है ये ज़िंदगी….. सिलती कुछ नहीं, बस
चुभती जा रही है.
सिलवटों से भरी है तमाम रूह उसकी
एक शिकन भी नहीं है लिबास में जिसके..
जिनके पास इरादे होते है ना।।
उनके पास बहाने नही होते।।
बदला न अपने-आप को जो थे वही रहे…
मिलते रहे सभी से मगर अजनबी रहे..
तुम बहोत साल रह लिए अपने,
अब मेरे और सिर्फ मेरे होकर रहो !!
सादगी हो लफ़्ज़ों में…तो यक़ीन मानिये…
इज़्ज़त बेपनाह और दोस्त बेमिसाल मिल जाते हैं….
बहोत बोलने वाले जब अचानक खामोश हो जाये,
तो उनकी खामोशी से सुकून नहीं खौफ आता है !!
सच को तमीज़ ही नहीं बात करने की,
झूठ को देखो कितना मीठा बोलता है !!
जब नहीं तुझको यक़ीं तो अपना समझता क्यूँ है,
रिश्ता रखता है तो फिर रोज़ परखता क्यूँ है !!