बहुत रोये वो

बहुत रोये वो हमारे पास आके जब एहसास हुआ

अपनी गलती का,चुप तो करा देते हम,

अगर चहरे पे हमारे कफन ना होता.

सीख रहा हूँ

सीख रहा हूँ मै भी अब मीठा झूठ बोलने का हुनर, कड़वे सच ने हमसे, ना जाने, कितने अज़ीज़ छीन लिए|