कह दो अंधेरों से कही
और घर बना लें,
मेरे मुल्क में रौशनी का सैलाब आया है.
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कह दो अंधेरों से कही
और घर बना लें,
मेरे मुल्क में रौशनी का सैलाब आया है.
झूठी शान के परिंदे ही ज्यादा फड़फडडाते हैं,
बाज की उड़ान में कभी आवाज नहीं होती है !!
ख्वाइश बस इतनी सी है कि तुम मेरे लफ़्ज़ों को समझो
आरज़ू ये नहीं कि लोग वाह – वाह करें…!!
करोडो में नीलाम होते है यहाँ, एक नेता के
उतारे हुए सूट ।
वही कचरे में फेक देते है, ‘शहीदों की वर्दी और
बूट’ ।
अजीब अदा है यार लोगों की
नज़रें भी हम पर है और नाराज़गी भी हमसे ही
जब सब तेरी मरजी से होता है….
ऐ खुदा………………………………….
तो तेरा ये बन्दा गुनहगार कैसे हो गया……
डोर लम्बी हो तो मतलब यह
नहीं की पतंग ऊपर तक
जाएगी,
उड़ाने का तरीक़ा आना चाहिए,
दौलत ज़्यादा का मतलब सफल जीवन
नही,
जीने का सलीक़ा आना चाहिए..!!!
ना मुमकिन है इसको समझना,
दिल का अपना ही मिज़ाज़ होता है..!!
किस्मत बुरी या मैं बुरा, ये फैसला ना हो सका;
मैं हर किसी का हो गया, कोई मेरा ना हो सका!
तुम्हारा जिक्र हूआ तो महफिल तक छोड़ आए हम गैरो के लबों पर हमें तो तुम्हारा नाम तक अच्छा नही लगता !!