दरवाज़े से घर

सुख कमाकर दरवाज़े से घर में
लाने की कोशिश करते रहे ,
पता ही ना चला कि कब ….
खिड़कियों से उम्र निकल गई .

लाजमी तो नही

लाजमी तो नही है…कि तुझे आँखों सेही देखूँ..

तेरी याद का आना भी तेरे
दीदार से कम नही…।”
लाजमी तो नही है…कि तुझे आँखों सेही देखूँ..

तेरी याद का आना भी तेरे
दीदार से कम नही…।”

मै तो बस

मै तो बस अपनी हकीकत लिखता हूँ….
और
लोग कहते है…
तुम शायरी अच्छी लिखते हो….

कोई शिकायत नहीं

हमें उनसे कोई शिकायत नहीं;
शायद हमारी किस्मत में चाहत नहीं!
मेरी तकदीर को लिखकर तो ऊपर वाला भी मुकर गया;
पूछा तो कहा, “ये मेरी लिखावट नहीं”!

जंजीर से डर लगता

उल्फत की जंजीर से डर लगता हैं,
कुछ अपनी ही तकदीर से डर लगता हैं,

जो जुदा करते हैं, किसी को किसी से,
हाथ की बस उसी लकीर से डर लगता हैं..