Ek mehboob
beparwaah , ek mohbbat bepanaah…..
Dono kaafi
hain sukoon barbaad karne ko…….
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
Ek mehboob
beparwaah , ek mohbbat bepanaah…..
Dono kaafi
hain sukoon barbaad karne ko…….
दिल चाहता है धोख़े से ज़हर दे दूँ ,
आज सब ख़्वाहिशों की दावत कर के”..!!
“प्रशंसक” आपको बेशक पहचानते होंगे मगर “शुभचिन्तकों” को आपको पहचानना पड़ेगा.
अकेले ही गुज़रती है ज़िन्दगी।
लोग तसल्लियां तो देते हैं,
पर साथ नहीं।।
जिस दिन तूम आओगी मेरे घर मेरी दुल्हन बनकर
उस दिन को मै मनाऊ गा नए साल की तरह
कैद कर के तुम्हारे चेहरे को,
मेरी आँखों ने खुदकुशी कर ली
अपनी तो यारो बस इतनी सी कहानी है;
कुछ तो खुद से ही बर्बाद थे;
कुछ इश्क की मेहरबानी है।
सस्ता न समझ ये इश्क़ का सौदा पगली..
तेरी हँसी के बदले पूरी जिंदगी दे रहा हूँ..!”
प्रतिभा
एक प्रतिशत प्रेरणा और निन्यानबे प्रतिशत पसीना है.
शुक्र है कि ये दिल…सिर्फ़ धड़कता है…अगर
बोलता…तो कयामत आ जाती….