ये क्यूँ था जनाज़े पे हुजुम मेरे?
जबकि तन्हा तन्हा थी जिंदगी।
Tag: Pyari Shayari
चलने दो जरा आँधियाँ
चलने दो जरा आँधियाँ हकीकत की,
न जाने कौन से झोंके मैं अपनो के मुखौटे उड़ जाये।
ख्वाहिशों की चादर
ख्वाहिशों की चादर तो कब की तार तार हो चुकी…!!
देखते हैं वक़्त की रफूगिरि क्या कमाल करती हैं…!!
करीब ना होते हुए भी
करीब ना होते हुए भी करीब
पाओगे हमें क्योंकि…
एहसास बन के दिल में उतरना
आदत है मेरी….
कैसे बदलदू मै
कैसे बदलदू मै फितरत ए अपनी
मूजे तुम्हें सोचते रहनेकी आदत सी हो गई है
ख़त्म हो भी तो कैसे
ख़त्म हो भी तो कैसे, ये मंजिलो की आरजू,
ये रास्ते है के रुकते नहीं, और इक हम के झुकते नही।
न छेड़ क़िस्सा वो
न छेड़ क़िस्सा वो उल्फत का, बड़ी लम्बी कहानी है !
मैं ज़िंदगी से नहीं हारा, बस किसी पे एतबार बहुत था…
मत पूछो कि
मत पूछो कि मै यह अल्फाज कहाँ से लाता हूँ,
उसकी यादों का खजाना है, लुटाऐ जा रहा हूँ मैं….
कहीं किसी रोज
कहीं किसी रोज यूँ भी होता, हमारी हालत तुम्हारी होती
जो रात हम ने गुजारी मर के, वो रात तुम ने गुजारी होती…
शायर तो कह रहा था
शायर तो कह रहा था कि हमने कहा है शेर
और शेर कह रहा था चुराए हुए हैं हम….