दुनिया वाले गली-गली में दीवार बनाते हैं
मुहब्बत का सर काट दे वो तलवार बनाते हैं
ये अदा है दुश्मनी की जो हर आशिक को
अपनी ही मौत का तलबगार बनाते हैं|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
दुनिया वाले गली-गली में दीवार बनाते हैं
मुहब्बत का सर काट दे वो तलवार बनाते हैं
ये अदा है दुश्मनी की जो हर आशिक को
अपनी ही मौत का तलबगार बनाते हैं|
पसन्द नहीं तुम्हारी ये बात,
जब बिन बात के ही बात नहीं करते..!!
ये लफ़्ज़ों की शरारत है, ज़रा संभाल कर लिखना तुम;
मोहब्बत लफ्ज़ है लेकिन ये अक्सर हो भी जाती है।
सूकून ऐ जन्नत इस दुनिया मैं कहां,
फूरसत तो तुझे मौत ही देगी |
लोग गिरते नहीं थे नज़रों से..!!
इश्क़ के कुछ उसूल थे पहले..
पानी ने भी क्या अजीब खेल रचाया है…..!
“जिसके खेत सूखे-सूखे से थे
“पानी” उसी की आखों में नज़र आया है….!
मौत मेरी हो गयी किसने कहा झूंठ है आकर सरासर देख लो
देहरी पर टकटकी लगाये सोच रही माँ
बच्चे छोड़ गए अब मुझे प्यार से कौन सताएगा |
बेगुनाह कोई नही, सबके अपने राज़ होते है…
किसी के छुप जाते है, तो किसी के छप जाते है….
कब वो ज़ाहिर होगा और हैरान कर देगा मुझे
जितनी भी मुश्किल में हूँ आसान कर देगा मुझे|