माँग रही थी कामवाली
बाई थोड़े ज्यादा पैसे
बहू ने थोड़ा प्यार दिखाकर
अपनी सास को गाँव से बुला लिया…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
माँग रही थी कामवाली
बाई थोड़े ज्यादा पैसे
बहू ने थोड़ा प्यार दिखाकर
अपनी सास को गाँव से बुला लिया…
लौट आया हूँ मैं फिर ख़ामोशी की क़ैद में … !
.तुम्हें दिल से आवाज़ देने की यही सजा हैं मेरी…
खरीद लेंगे सबकी सारी उदासियाँ, दोस्तों…
सिक्के हमारे हिसाब से, चलने लगेंगे जब…!!!
तन्हा थी और हमेशा से तन्हा है जिंदगी,
है यही जिंदगी का नाज़ और क्या है जिंदगी|
मुझे पत्थर बनाने में उसका बड़ा हाथ है,
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जिसे मैं कभी फ़ूल दिया करता था..
मज़े दोनो बराबर ले रहे है…
कभी मैं जिंदगी के, कभी जिंदगी मेरे..
खुशबु ना किसी रंग..ना बाजार से बहले.
दिल एक तेरे ज़िक्र..तेरे दीदार से बहले…
चाहिए क्या तुम्हे तोहफे में बता दो
वरना हम तो बाजार के बाजार उठा लाएंगे|
आसमान से जो फ़रिश्ते उतारे जाये
वो भी इस दौर में सच बोले तो मरे जाये|
गुमराह कब किया है किसी राह ने मुझे
चलने लगा हूँ आप ही अपने ख़िलाफ़ में|