लिखा जो ख़त हमने वफ़ा के पत्ते पर,
डाकिया भी मर गया शहर ढूंढते ढूंढते..
Tag: Pyari Shayari
हम सीने से लगा कर रोये ..
आज तेरी याद हम सीने से लगा कर रोये ..
तन्हाई मैं तुझे हम पास बुला कर रोये कई
बार पुकारा इस दिल मैं तुम्हें और
हर बार तुम्हें ना पाकर हम रोये|
एक शब्द है
एक शब्द है दुःख, कहो
कई – कई तरह से फेर।
दुःख ही दुःख है ज़िंदगी
सुख की यहाँ नहीं ख़ैर।।
तुझे ही फुरसत ना थी
तुझे ही फुरसत ना थी किसी अफ़साने को पढ़ने की,
मैं तो बिकता रहा तेरे शहर में किताबों की तरह..
वो रोई तो जरूर
वो रोई तो जरूर होगी खाली कागज़ देखकर,
ज़िन्दगी कैसी बीत रही है पूछा था उसने ख़त में..
इस सलीक़े से
इस सलीक़े से मुझे क़त्ल किया है उसने,
अब भी दुनिया ये समझती है की ज़िंदा हूँ मैं….!!
अपने दिल से
अपने दिल से मिटा ड़ाली तेरे साथ की सारी तस्वीरें
आने लगी जो ख़ुशबू तेरे ज़िस्मों-जां से किसी और की…!!
हम जिसके साथ
हम जिसके साथ वक्त को भूल जाते थे,
वो वक्त के साथ हमको भूल गया…!!
सर क़लम होंगे
सर क़लम होंगे कल यहाँ उन के
जिन के मुँह में ज़बान बाक़ी है|
दिल से रोये
दिल से रोये मगर होंठो से मुस्कुरा बेठे!
यूँ ही हम किसी से वफ़ा निभा बेठे!
वो हमे एक लम्हा न दे पाए अपने प्यार का!
और हम उनके लिये जिंदगी लुटा बेठे!