वो जब अपने हाथो की

वो जब अपने हाथो की लकीरों में मेरा नाम ढूंढ कर थक गये,
सर झुकाकर बोले, लकीरें झूठ बोलती है तुम सिर्फ मेरे हो..

कल बड़ा शोर था

कल बड़ा शोर था मयखाने में,
बहस छिड़ी थी जाम कौन सा बेहतरीन है,
हमने तेरे होठों का ज़िक्र किया,
और बहस खतम हुयी..

मेरे ग़ज़लों में

मेरे ग़ज़लों में हमेशा, ज़िक्र बस तुम्हारा रहता है…

ये शेर पढ़के देखो कभी, तुम्हे आईने जैसे नज़र आएंगे

आईना बड़ी शिद्दत से

आईना बड़ी शिद्दत से वो अपने पास रखते हैं
जिसमे देखकर अपनी सूरत वो खुद संवरते हैं
दर्पण तो दर्पण है वो सबका अपना प्यारा है
सम्हाल के रखना ये जल्दी टूटकर बिखरते हैं…