हक़ीक़त ना सही तुम ख़्वाब की तरह मिला करो, भटके हुए मुसाफिर को चांदनी रात की तरह मिला करो |
Tag: Pyar Shayari
हमें रोता देखकर
हमें रोता देखकर वो ये कह के चल दिए कि, रोता तो हर कोई है क्या हम सब के हो जाएँ|
चाहते हो अगर
चाहते हो अगर हमेशा के लिए किसी को अपना बनाना.. तो कितना चाहते हो उसे ,ये उसे कभी ना बताना
कौन कहता है
कौन कहता है मुसाफिर जख्मी नहीँ होते… रास्ते गवाह हैँ, कमबख्त गवाही नहीँ देते…
ना खुशी की तलाश है
ना खुशी की तलाश है ना गम-ए-निजात की आरज़ू, मै ख़ुद से ही नाराज हूँ तेरी नाराजगी के बाद।
करें किसका यक़ीन
करें किसका यक़ीन यहाँ सब अदाकार ही तो हैं, गिला भी करें तो किससे करें सब अपने यार ही तो हैं।
तुम मेरे साथ
तुम मेरे साथ चलो सब को दिखाने के लिये, फिर किसी मोड़ पर चुपके से जुदा हो जाना !!
रात को जीत तो पाता नहीं
रात को जीत तो पाता नहीं लेकिन ये चराग़ कम से कम रात का नुक़सान बहुत करता है|
हम भी दरिया हैं
हम भी दरिया हैं, हमें अपना हुनर मालूम है; जिस तरफ़ भी चल पड़ेगे, रास्ता हो जाएगा।
वो रखती है
वो रखती है खुद को सबसे छुपाकर…. शायद वो भी खुद को अमानत समझती है मेरी….