तुम्हारी क़िताबों में
कोई नशा है क्या,
पढते पढते सो जाती हो |
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
तुम्हारी क़िताबों में
कोई नशा है क्या,
पढते पढते सो जाती हो |
आप हमसे अगर न बोलेंगे,
अपनी पलकों को हम भिगो लेंगे !
बात जन्नत की और आपकी थी,
कह दिया हमने, आपको लेंगे !
मुझसे ही क्यूँ प्यार करोगे आख़िर तुम !
वैसे भी तुम मेरे जैसे थोड़े हो !!
जरुरत पे हीं याद आती है मेरी
मैं आपातकालीन खिड़की हूँ जैसे|
वक़्त-बेवक़्त तेरी यादो का सैलाब तौबा,
बहा ले जाता है ,सुकूं मेरी तन्हा रातो का..!!
क्या करेंगे मुस्कुराहट को ले कर
अब तो बरसो से गम की बरसात में
जीने की आदत सी ही गई है|
ना हम रोने में रहे
ना हम हंसने में रहे
कितना हसीन है मेरा वजूद
जिसमे कोई अपना ना रहा |
मेरे होंटो पर जो खिलती मुस्कुराहट है,
ये दरअसल इक गम छुपाने की साजिश है…
कहानी अजीब है पर यही हकीकत है..
वो बहुत बदल गया है वादे हज़ार करके|
कोई हुनर कोई सलीका कोई रास्ता ऐसा बताओ…
उस से वास्ता रखे बिना ये जिंदगी गुज़ार दूँ…