हुये है सजदे

हुये है सजदे मुकम्मल सब मेरे आकर तेरी पनाहों में…

तेरी मर्जी तू कर शामिल मुझको , दुआओ में या गुनाहो में….

सूरज ढलते ही

सूरज ढलते ही रख दिये उस ने मेरे
होठो पर होठ … ।। दोस्तों इश्क
का रोजा था और गजब की इफ्तारी थी … !!