तेरी किताब के हर्फ़े, समझ नहीं आते।
ऐ ज़िन्दगी तेरे फ़लसफ़े, समझ नहीं आते।।
कितने पन्नें हैं, किसको संभाल कर रखूँ।
और कौन से फाड़ दूँ सफ़हे, समझ नहीं आते।।
चौंकाया है ज़िन्दगी, यूँ हर मोड़ पर तुमने।
बाक़ी कितने हैं शगूफे, समझ नहीं आते।।
हम तो ग़म में भी, ठहाके लगाया करते थे।
अब आलम ये है, कि.. लतीफे समझ नहीं आते।।
तेरा शुकराना, जो हर नेमत से नवाज़ा मुझको।
पर जाने क्यों अब तेरे तोहफ़े, समझ नहीं आते।।
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बहुत गुरुर है
बहुत गुरुर है दरिया को अपने होने पर,
जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड जाये।
वक़्त बड़ा धारदार होता है
वक़्त बड़ा धारदार होता है,
कट तो जाता है मगर काटने के बाद।
रिश्तो में विश्वास
रिश्तो में विश्वास भले ही कम हो जाए पर अधिकार हमेशा बने रहते है ।
मजबूरियां थी मेरी
क्या खुब…मजबूरियां थी मेरी..अपनी खुशी…को छोड दिया बस उसे खुश देखने के लिए..
हद से बढ़ जाये
हद से बढ़ जाये तालुक तो गम मिलते हैं..
हम इसी वास्ते अब हर शख्स से कम मिलते |
मोहब्बत के लिये
मोहब्बत के लिये अब तेरी मौजूदगी ज़रूरी नहीं यारा …….
ज़र्रे-ज़र्रे में तेरी रूह का अहसास होता है …!!
चुभता तो बहुत
चुभता तो बहुत कुछ मुझको भी है तीर की तरह…!!!
मगर ख़ामोश रहता हूँ, अपनी तक़दीर की तरह…!!
ये सर्द शामे
ये सर्द शामे भी किस कदर जालिम हैं,
बेशक सर्द हैं फिर भी इनमें दिल सुलगता है|
किसी ने पूछा
किसी ने पूछा कौन याद आता है,
अक्सर तन्हाई में,
हमने कहा कुछ पुराने रास्ते,
खुलती ज़ुल्फे और बस दो आँखें