कुछ न कुछ तो है उदासी का सबब…
अब मान भी जाओ की याद आते है..हम…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कुछ न कुछ तो है उदासी का सबब…
अब मान भी जाओ की याद आते है..हम…
तुम्हारी बेरुख़ी ने लाज रख ली बादाख़ाने की,
तुम आँखों से पिला देते तो पैमाने कहाँ जाते !!
कुछ कहूँ उनसे मगर ये ख़्याल होता है….
शिकायतों का नतीज़ा मलाल होता है।।
महफ़िलें सजती होंगी बेशक तुम्हारे दर मगर,
महफ़िलों में हम नहीं है,ग़म नहीं है अब मगर…
तलब उठती है बार – बार… तुमसे बात करने की !
धीरे – धीरे ना जाने कब…. तुम मेरी लत बन गये !!
चलो आज ऐसा करते है तुम मोम बन जाओ, मै धागा बन जाऊं….
तुम मुझ मे पिघल जाओ, मै तुम मे जल जाऊं|
अगर दो लोग लड़कर भी एक दुसरे के साथ रहते है….
तो उसका मतलब ये हुआ की दोनों बहोत प्यार करते है|
इश्क की राह में साथ चले थे दोनों,
हम तो बरबाद हुए,आप कहाँ तक पहुंचे|
मायूस हो गया हूँ जिंदगी के
सफर से इस कदर…
कि ना खुद से मिल पा रहा हूँ
ना मंजिल से|
अब उस खुदा से भी अब शिकायत नहीं ,
क्या करूँ शिकायत ,
जब तुझे उसने मेरे हाथों में लिखा ही नही|