मुख्तसर सी जिंदगी

मुख्तसर सी जिंदगी मेरी तेरे बिन बहुत अधूरी है,
इक बार फिर से सोच तो सही की क्या तेरा खफा रहना बहुत जरूरी है !!

इक मुद्दत से

इक मुद्दत से कोई तमाशा नहीं देखा बस्ती ने

कल बस्ती वालों ने मिल-जुलकर मेरा घर फूंक दिया