लाजमी नही है

लाजमी नही है की हर किसी को मौत ही छूकर निकले “”

किसी किसी को छूकर जिंदगी भी निकल जाती है ||

मुझे भी शुमार करो

मुझे भी शुमार करो अब गुनहगारों की फेहरिस्त में,

मैं भी क़ातिल हूँ हसरतों का, मैंने भी ख्वाहिशों को मारा है…।

ना रास्ता हैं

ना रास्ता हैं ना मंजिल है बस चला जा रहा हूँ !!

हिम्मतें तो बहुत हैं बस हाथ की लकीरों से मात खा रहा हूँ !!

मैं एक हाथ से

मैं एक हाथ से सारी दुनिया के साथ लड़ सकता हूँ ,
बस मेरा दुसरा हाथ तेरे हाथ में होना चाहिए !!

उसकी गली का

उसकी गली का सफर आज भी याद है मुझे…

मैं कोई वैज्ञानिक नहीं था पर मेरी खोज लाजवाब थी…