रात हुई जब

रात हुई जब शाम के बाद! तेरी याद आई हर बात के बाद! हमने खामोश रहकर भी देखा! तेरी आवाज़ आई हर सांस के बाद!

भटकते रहे हैं

भटकते रहे हैं बादल की तरह;
सीने से लगालो आँचल की तरह;
गम के रास्ते पर ना छोड़ना अकेले वरना टूट जाएँगे पायल की तरह।

अक्सर ठहर कर

अक्सर ठहर कर देखता हूँ अपने पैरों के निशांन को,!!!
वो भी अधूरे लगते हैं तेरे साथ के बिना…!!!

शायद कुछ दिन

शायद कुछ दिन और लगेंगे, ज़ख़्मे-दिल के भरने में,
जो अक्सर याद आते थे वो कभी-कभी याद आते हैं।

चाँदनी रातों में

चाँदनी रातों में कुछ भीगे ख्यालों की तरह,
मैने चाहा है तुम्हें दिन के उजालों की तरह,
गुजरे थे जो कुछ लम्हें तुम्हारे साथ,
मेरी यादों में चमकते हैं वो सितारों की तरह|

क्या हुनर है

क्या हुनर है तुझमे पगली….हमारे बेग से कोई पेन्सिल ना चुरा पाया और तूने सीने से दिल चुरा लिया..