बड़ी तकात है

“भरोसा” बहुत बड़ी तकात है
पर यह यू ही नही काम आती है

खुद पर रखो तो “ताकत” और दुसरो पर रखो
तो “कमजोरी” बन जाती है ।

मर्जी वफा कर लो

कुछ नही मिलता जितनी मर्जी वफा कर लो किसी से…

मेरे दोस्त…

जब वक़्त वफ़ा ना करे तो….
वफादार भी बेवफा हो जाता है.