“भरोसा” बहुत बड़ी तकात है
पर यह यू ही नही काम आती है
खुद पर रखो तो “ताकत” और दुसरो पर रखो
तो “कमजोरी” बन जाती है ।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
“भरोसा” बहुत बड़ी तकात है
पर यह यू ही नही काम आती है
खुद पर रखो तो “ताकत” और दुसरो पर रखो
तो “कमजोरी” बन जाती है ।
दिल चाहता है धोख़े से ज़हर दे दूँ ,
आज सब ख़्वाहिशों की दावत कर के”..!!
“प्रशंसक” आपको बेशक पहचानते होंगे मगर “शुभचिन्तकों” को आपको पहचानना पड़ेगा.
अकेले ही गुज़रती है ज़िन्दगी।
लोग तसल्लियां तो देते हैं,
पर साथ नहीं।।
जिस दिन तूम आओगी मेरे घर मेरी दुल्हन बनकर
उस दिन को मै मनाऊ गा नए साल की तरह
कैद कर के तुम्हारे चेहरे को,
मेरी आँखों ने खुदकुशी कर ली
सस्ता न समझ ये इश्क़ का सौदा पगली..
तेरी हँसी के बदले पूरी जिंदगी दे रहा हूँ..!”
शुक्र है कि ये दिल…सिर्फ़ धड़कता है…अगर
बोलता…तो कयामत आ जाती….
भूल सकते हो तो भूल जाओ इजाज़त है तुम्हे….
न भूल पाओ तो लौट आना एक और भूल की इजाज़त है तुम्हें…..
कुछ नही मिलता जितनी मर्जी वफा कर लो किसी से…
मेरे दोस्त…
जब वक़्त वफ़ा ना करे तो….
वफादार भी बेवफा हो जाता है.