जन्नत का पता नहीं

लोग कहते हैं ज़मीं पर किसी को खुदा नहीं मिलता,शायद उन लोगों को दोस्त कोई तुम-सा नहीं मिलता……!!किस्मतवालों को ही मिलती है पनाह किसी के दिल में,यूं हर शख़्स को तो जन्नत का पता नहीं मिलता……….!!अपने सायें से भी ज़यादा यकीं है मुझे तुम पर,अंधेरों में तुम तो मिल जाते हो, साया नहीं मिलता……..!!इस बेवफ़ा ज़िन्दगी से शायद मुझे इतनी मोहब्बत ना होतीअगर इस ज़िंदगी में दोस्त कोई तुम जैसा नहीं मिलता…!!

ज़िन्दिगी बन जाती हैं.

दो परिंदे सोंच समझ कर जुदा हो गयें और जुदा होकर मर
गयें जानते हो क्यों? क्योंकि उन्हे नहीं मालूम था
कि नज़दीकियाँ पहले आदत फिर ज़रूरत और फिर
ज़िन्दिगी बन जाती हैं.।