कोई वकालत नहीं
चलती ज़मीन वालों की ,
जब कोई फैसला आसमान से उतरता है
..!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कोई वकालत नहीं
चलती ज़मीन वालों की ,
जब कोई फैसला आसमान से उतरता है
..!!
तेरे बाद किसी को
प्यार से
ना देखा हमने…..
हमें इश्क का शौक है, आवारगी का
नही…
कोई तो सूद चुकाये,
कोई तो जिम्मा ले…
उस इंकलाब का जो आज तक उधार सा है…
सिर्फ रिश्ते टूटा करते
हैं साहब,
मुझे तो उनसे इश्क़ हुआ है..
लहू बेच-बेच कर
जिसने परिवार को पाला,
वो भूखा सो गया जब बच्चे कमाने वाले हो
गए…!!
हमने कब माँगा है
तुमसे वफाओं का सिलसिला;
बस दर्द देते रहा करो, मोहब्बत
बढ़ती जायेगी।
लोग मुन्तजिर थे, मुझे टूटता हुआ देखने के,
और एक मैं था, कि ठोकरें खा खा कर पत्थर का हो गया
तुमने भी हमें बस एक दिये की तरह समझा था,
रात गहरी हुई तो जला दिया सुबह हुई तो बुझा दिया..
तुम्हारी शातिर नजरे कत्ल करने में
माहिर हैं,
.
.
.
तो सुन लो. हम भी मर-मर
कर जीने में उस्ताद हो गये है।
ख्याल आजाद होते है…
पंख तो इच्छाओ के होते है।