वो दुआएं काश मैने दीवारों से मांगी होती,
ऐ खुदा..
सुना है कि उनके तो कान होते है!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
वो दुआएं काश मैने दीवारों से मांगी होती,
ऐ खुदा..
सुना है कि उनके तो कान होते है!!
एक मुनासिब सा नाम रख दो तुम …..
रोज जिदंगी पूछती हैं रिश्ता तेरा मेरा ….
मैं अगर खत्म भी हो जाऊँ इस साल की तरह…
तुम मेरे बाद भी संवरते रहना नए साल की तरह…!!!
दिल से निकालो तो मान जाऊ.
नजर-अन्दाज करना कोई कमाल तो नही !
कितना खुशनुमा होगा वो मेरे इँतज़ार का मंजर भी…
जब ठुकराने वाले मुझे फिर से पाने के लिये आँसु बहायेंगे…!!!
कुछ कदम जो साथ चल रहे थे, दरअसल वो चल नहीं छल रहे थे !!
बहा के आंसू कल रात माँगा था उसे
मगर अफ़सोस
फरिश्तो ने कहा शर्त-ए-कबुलियत ये है की दुआ दोनों तरफ से हो
कहने को तो तुम कुछ भी कहती रहो .. !!
मगर
भीगी पलकों से जाहिर है, कि भूली तुम भी नहीं हो..||
किसी ने पूछा तुम्हारी सबसे बड़ी “गलतफहमी” क्या थी…
मैँने हँसकर कहा की उस पर विशवास करना।
मै बिक जाऊँगा बस तुम खरीद लेना,
सुना है,
बेवफाओ के शहर में थोक के भाव मोहब्बत नीलाम होती है|