जहान की खिलावट में जुलूल नहीं आएगा,
गम-ए-तोहीन से कुबूल नहीं आएगा,
मक्लूल की इबरात है, यह कुर्फा ग़ालिब,
तुम पागल हो जाओगे पर यह शेर समझ नहीं आएगा….
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
जहान की खिलावट में जुलूल नहीं आएगा,
गम-ए-तोहीन से कुबूल नहीं आएगा,
मक्लूल की इबरात है, यह कुर्फा ग़ालिब,
तुम पागल हो जाओगे पर यह शेर समझ नहीं आएगा….
उसकी जीत से होती है खुशी मुझको,
यही जवाब मेरे पास अपनी हार का था…॥
गुड़ियों से खेलती हुई बच्ची की गोद में
आंसू भी आ गया तो समंदर लगा हमें
एक ज़रा सी जोत के बल पर अंधियारों से बैर
पागल दिए हवाओं जैसी बातें करते हैं
खुद को बिखरते देखते हैं कुछ कर नहीं पाते
फिर भी लोग खुदाओं जैसी बातें करते हैं
मेरे खुदा मुझे इतना तो मोतबर कर दे
मैं जिस मकान में रहता हूँ उसको घर कर दे
मकां से क्या मुझे लेना मकां तुमको मुबारक हो
मगर ये घासवाला रेशमी कालीन मेरा है।
ज़िन्दगी में प्यार का पौधा लगाने से पहले
जमीन परख लेना………….
हर एक मिट्टी की फितरत में
वफा नही होती………
मेरे खुदा उसको मेरे आस-पास लिख दे ।
पानी बना उसको मुझे प्यास लिख दे ।।
अनदेखे धागों में यूँ बाँध गया कोई …!!
के वो साथ भी नहीं, और हम आज़ाद भी नहीं !