नदिया का पानी

नदिया का पानी भी खामोश बहता यहाँ
खिली चांदनी में छिपी लाख खामोशियाँ
बारिश की बूंदों की होती कहाँ है जुबां
सुलगते दिलों में है खामोश उठता धुंआ

तेरा जाना हुआ

क्या उस गली में कभी तेरा जाना हुआ
जहां से ज़माने को गुज़रे ज़माना हुआ
मेरा समय तो वहीँ पे है ठहरा हुआ
बताऊँ तुम्हे क्या मेरे साथ क्या क्या हुआ