तुझसे अच्छे तो जख्म हैं मेरे उतनी ही
तकलीफ देते हैं जितनी बर्दास्त कर सकूँ..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
तुझसे अच्छे तो जख्म हैं मेरे उतनी ही
तकलीफ देते हैं जितनी बर्दास्त कर सकूँ..
डूबी है मेरी उंगलियाँ मेरे ही खून में,
ये काँच के टुकड़ों पर भरोसे की सज़ा है…
नहीं फुरसत यकीन मानो कुछ और करने की तेरी बातें ,
तेरी यादें बहुत मशरूफ रखती हैं|
कौन कहता है कि दूरियां किलोमीटरों में नापी जाती हैं।
खुद से मिलने में भी उम्र गुज़र जाती है।
तू जरुरी सा है मुझको
जिन्दा रहने के लिए|
तुम याद भी आओ तो चुप रहते हैं,
कि आँखों को खबर हुई तो बरस जाएंगी…
इतना आसान नहीं है, जीवन का हर किरदार निभा पाना,
इंसान को बिखरना पड़ता है, रिश्तों को समेटने के लिए।
अफसोस होता है उस पल जब अपनी पसंद को कोई और चुरा लेता है,
ख्वाब हम देखते है और हकीकत कोई और बना लेता है…
सौ गुना बढ़ जाती है खूबसूरती महज मुस्कुराने से,
फिर भी बाज नहीं आते लोग बुरा सा मुँह बनाने से…
क्या लिखूँ दिल की हकीकत आरजू बेहोश है,
ख़त में आँसू बह रहें और कलम खामोश हैं…॥