तकिये के लिहाफ में छुपाकर रखी हैं तेरी यादें,
जब भी तेरी याद आती है मुँह छुपा लेता हूँ|
Tag: Pyar Shayari
उम्र भर ख़्वाबों की
उम्र भर ख़्वाबों की मंज़िल का सफ़र जारी रहा,
ज़िंदगी भर तजरबों के ज़ख़्म काम आते रहे…
कोई होंठों पे
कोई होंठों पे उंगली रख गया था…
उसी दिन से मैं लिखकर बोलता हुँ|
हाथ पकड़ कर
हाथ पकड़ कर रोक लेते अगर,तुझपर
ज़रा भी ज़ोर होता मेरा,
ना रोते हम यूँ तेरे लिये, अगर हमारी
ज़िन्दगी में तेरे सिवा कोई ओर होता !
इश्क की हिमाकत
इश्क की हिमाकत जो उनसे कर बैठे यूँ ही हम खुदसे बिछड़ बैठे !!!
उसने ऐसी चाल चली के
उसने ऐसी चाल चली के मेरी मात यकीनी थी,
फिर अपनी अपनी किस्मत थी,
हारी मैं, पछताया वो…..!!!!!!
अजीब तरह से
अजीब तरह से
गुजर रही हैं जिंदगी…!!!
सोचा कुछ, किया कुछ, हुआ कुछ, मिला कुछ..!!!
तुम मेरे लिए रेत क्यों हुए…
तुम मेरे लिए रेत क्यों हुए…पहाड़ क्यों न हुए ?
तुम मेरे लिए पहाड़ क्यों हुए…रेत क्यों न हुए ?
रेत…पहाड़…मैं…सब वही
सिर्फ… “तुम” बदल गए
पहली बार भी
और
फिर…आखिरी बार भी…
ये तो कहिए इस ख़ता की
ये तो कहिए इस ख़ता की क्या सज़ा,
ये जो कह दूं के आप पर मरता हूं मैं।।
शाख़ पर रह कर
शाख़ पर रह कर कहाँ मुमकिन था मेरा ये सफ़र,
अब हवा ने अपने हाथों में सँभाला है मुझे…