लाख तलवारे बढ़ी आती हों गर्दन की तरफ;
सर झुकाना नहीं आता तो झुकाए कैसे।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
लाख तलवारे बढ़ी आती हों गर्दन की तरफ;
सर झुकाना नहीं आता तो झुकाए कैसे।
इश्क़ और तबियत का कोई भरोसा नहीं,
मिजाज़ से दोनों ही दगाबाज़ है, जनाब।
ताकत नहीं मुज में इतनी की छीन लू दुनिया से
तुजे ,
ऐ_सनम
पर मेरे दिल से कोई तुझे निकाल दे इतनी
हिम्मत नहीं किसी में ।
Tamam Umer Usi Ke Khayal Mein Guzri
Mera Khayal Jise Umer Bhar Nahi Aaya….
हमारे जमाने में दो चोटी बनाया करती थीं लड़कियाँ
पर, बड़ी मुश्किल से नज़र आया करती थीं लड़कियाँ
आँखों में काजल और माथे पर बिंदी हो न हो मगर
गालों पर पावडर बहुत लगाया करती थीं लड़कियाँ
किसी नसीब वाले के लिए ही टूटता था उनका मौन
जब बोलतीं, तो बस फूल बरसाया करती थीं लड़कियाँ
उन दिनों कील – मुहासे नहीं फकत रोशन चेहरे थे
अल सुबह से काम में लग जाया करती थीं लड़कियाँ
ख्वाब तो उनके तब भी रंग-बिरंगे-सुनहरे ही थे
जाने क्या सोचकर गुनगुनाया करती थीं लड़कियाँ
दिल में क्या है कभी ये पता भी करो,
साथ अपने कभी तो रहा भी करो.
है ये बीमार मौसम तो इसके लिए,
कुछ दवा भी करो कुछ दुआ भी करो.
जैसे रोते हो तुम अपनी तन्हाई में,
वैसे खुल कर कभी तो हँसा भी करो.
अब तो रिश्ते निभाने की ये शर्त है,
तुम वफ़ा के लिए कुछ वफ़ा भी करो.
या तो घर पे न रक्खो कोई आईना ,
वर्ना इसके लिए कुछ सजा भी करो.
ये सफ़र तो कटेगा फ़क़त इस तरह,
कुछ कहा भी करो कुछ सुना भी करो.
जिसकी तख्ती लगा ली है दीवार पर,
नाम उसका कभी तो लिया भी करो..
झूठ हमारा नहीं हमारे पूर्वजो का संस्कार है
जनता, नेता, अभिनेता सबको यह स्वीकार है !
भेड़िए सहमे हैं, कोई वारिस
शेरनी ने जना है बरसों बाद
आंखो से उतर कर कब दिल में बस गये
हम देखते ही रहे और बस उनके हो गये…
बात ये नही है कि तेरेबिना जी नही सकते…बात ये है कि तेरे बिना जीना नही चाहते…