तेरा हर लिबास

यूँ तोह तेरा हर लिबास मेरे सामने ही चढ़ा और उत्तर है।
आज ये कौनसा लिबास था जो मेरे सामने भी था पर मेरे करीब नहीं

मुझे मालूम है

मुझे मालूम है की ये ख्वाब झूठे है और ख्वाहिशें अधूरी है,
मगर जिंदा रहने के लिए कुछ गलतफहमियाँ भी जरूरी है…॥

बात समझ लेती थी

जब सिर्फ ” हूँ ” , “हां ” करता था तू , तो- मै -तेरी हर बात समझ लेती थी..!!
आज जब बड़ा हो गया है तू तो कहता है, ..”माँ तू कुछ नहीं समझती है”..!!

हमारी शक्सियत का

हमारी शक्सियत का अंदाजा तुम
क्या लगाओगी पगली
के लोग रात को निंद से हमें जगाकर कहते है
दिल टुटा है यार एक शायरी तो कर…

मुझे पता है

मुझे पता है मेरी खुद्दारी तुम्हे खो देगी
में भी क्या करू मुझे मांगने की आदत नही