तेरा साया भी पड़ जाए रूह जी उठती है,
सोच तेरे आने से मंजर क्या होगा|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
तेरा साया भी पड़ जाए रूह जी उठती है,
सोच तेरे आने से मंजर क्या होगा|
जरा सा कतरा कहीं आज अगर उभरता है ‘
तो समन्दरों के ही लहजे में बात करता है !!
सराफ़तों को यहाँ अहमियत नहीं मिलती !!
किसी का कुछ न बिगाड़ो तो कौन डरता है!!!!
कुछ बातों के मतलब हैं और कुछ मतलब की बातें जब से ये फर्क जाना, जिंदगी आसान बहुत हो गई |
देखिये अब क्या मुकाम आता है साहेब,
सूखे पत्ते को इश्क हुआ है बहती हवा से..!!
इतना भी दर्द ना दे ऐ ज़िन्दगी …..
भरोसा ही किया था..
कोई कत्ल तो नही ..
कोई और तरीक़ा बताओ जीने का,
साँसे ले ले कर थक गया हूँ !!
कुछ दिन तो तेरी यादें वापस ले ले..
‘पगली’
मैं कई दिनों से सोया नहीं….!!
तुम संग हूँ तुम बिन सही तुम धड़कन हो तुम दर्द सही ……
घर के बाहर ढूँढता रहता हूँ दुनिया,
घर के अंदर दुनिया-दारी रहती है।।
बहुत शौक है न तुझे ‘बहस’ का
आ बैठ…….’बता मुहब्बत क्या है’…