हम सीने से लगा कर रोये ..

आज तेरी याद हम सीने से लगा कर रोये ..

तन्हाई मैं तुझे हम पास बुला कर रोये कई

बार पुकारा इस दिल मैं तुम्हें और

हर बार तुम्हें ना पाकर हम रोये|

एक शब्द है

एक शब्द है दुःख, कहो
कई – कई तरह से फेर।
दुःख ही दुःख है ज़िंदगी
सुख की यहाँ नहीं ख़ैर।।

अपने दिल से

अपने दिल से मिटा ड़ाली तेरे साथ की सारी तस्वीरें

आने लगी जो ख़ुशबू तेरे ज़िस्मों-जां से किसी और की…!!

दिल से रोये

दिल से रोये मगर होंठो से मुस्कुरा बेठे!
यूँ ही हम किसी से वफ़ा निभा बेठे!
वो हमे एक लम्हा न दे पाए अपने प्यार का!
और हम उनके लिये जिंदगी लुटा बेठे!

उसने एक बार….

उसने एक बार….
अपनी बाहो में भर कर अपना कहा था मुझको
उस दिन से आज तक मैं अपने आप का भी ना हो सका|