छलका तो था

छलका तो था कुछ इन आँखों से उस रोज़..!!

कुछ प्यार के कतऱे थे..कुछ दर्द़ के लम्हें थे….!!!!

जो मौत से

जो मौत से ना डरता था, बच्चों से डर गया…
एक रात जब खाली हाथ मजदूर घर गया…!

तुम हज़ार बार भी

तुम हज़ार बार भी रुठोगे तो मना लूंगा तुमको मगर,
शर्त ये है कि मेरे हिस्से की मुहब्बत में शामिल कोई दूसरा ना हो..