तलब नहीं कोई

तलब नहीं कोई हमारे लिए तड़पे , नफरत भी हो तो कहे आगे बढ़के.!!

आग लगाना मेरी

आग लगाना मेरी फ़ितरत में नहीं.., पर लोग मेरी सादगी से ही जल जाये… उस में मेरा क्या क़सूर…!!

जिसे शिद्दत से

जिसे शिद्दत से चाहो वो मुद्दत से मिलता है, बस मुद्दतों से ही नहीं मिला कोई शिद्दत से चाहने वाला!

कौन कहता है

कौन कहता है दुनिया में हमशक्ल नहीं होते देख कितना मिलता है तेरा “दिल” मेरे “दिल’ से.!

पता नही होश मे हूँ….

पता नही होश मे हूँ….. या बेहोश हूँ मैं….. पर बहूत सोच ……. समझकर खामोश हूँ मैं.

अगर तू आंसू है

अगर तू आंसू है तो फिर….. मेरा भी रोना जरूरी है….

मुझे इंसान को

मुझे इंसान को पहचानने की ताकत दो तुम…. या फिर मुझमें इतनी अच्छाई भरदो की…. किसी की बुराई नजर ही ना आये..

तुझे तो मिल गये

तुझे तो मिल गये जीवन मे कई नये साथी, लेकिन…..मुझे हर मोड़ पऱ तेरी कमी अब भी महसूस होती है….!!

वो फूल हूँ

वो फूल हूँ जो अपने चमन में न रहा, वो लफ्ज़ हूँ जो शेरों सुख़न में न रहा, कल पलकों पे बिठाया, नज़र से गिराया आज, जैसे वो नोट हूँ जो चलन में न रहा।

जो दिल की गिरफ्त में

जो दिल की गिरफ्त में हो जाता है, मासूक के रहमों-करम पर हो जाता है, किसी और की बात रास नहीं आती, दिल कुछ ऐसा कम्बख्त हो जाता है, मानता है बस दलीले उनकी, ये कुछ यूँ बद हवास हो जाता है, यार के दीदार में ऐसा मशगूल रहता है, कि अपनी खैरियत भूल कर… Continue reading जो दिल की गिरफ्त में

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