खामोश रहने दो

खामोश रहने दो लफ़्ज़ों को, आँखों को बयाँ करने दो हकीकत,
अश्क जब निकलेंगे झील के, मुक़द्दर से जल जायेंगे अफसाने..

वो जब अपने हाथो की

वो जब अपने हाथो की लकीरों में मेरा नाम ढूंढ कर थक गये,
सर झुकाकर बोले, लकीरें झूठ बोलती है तुम सिर्फ मेरे हो..

कल बड़ा शोर था

कल बड़ा शोर था मयखाने में,
बहस छिड़ी थी जाम कौन सा बेहतरीन है,
हमने तेरे होठों का ज़िक्र किया,
और बहस खतम हुयी..

मेरे ग़ज़लों में

मेरे ग़ज़लों में हमेशा, ज़िक्र बस तुम्हारा रहता है…

ये शेर पढ़के देखो कभी, तुम्हे आईने जैसे नज़र आएंगे