गलती उनकी नहीं कसूरवार मेरी गरीबी थी दोस्तो
हम अपनी औकात भूलकर बड़े लोगों से दिल लगा बैठे !!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
गलती उनकी नहीं कसूरवार मेरी गरीबी थी दोस्तो
हम अपनी औकात भूलकर बड़े लोगों से दिल लगा बैठे !!
चलो तुम रास्ते ख़ोजो बिछड़ने के,
हम माहौल पैदा करते है मिलने के !!
तुम लाख छुपाओ ……मुझसे जो रिश्ता है…. तुम्हारा…..
सयाने कहते हैं नजर अंदाज करना भी मुहब्बत है…..
मुझे इंसान को पहचानने की ताकत दो तुम….
या फिर मुझमें इतनी अच्छाई भरदो की….
किसी की बुराई नजर ही ना आये..
तुझे तो मिल गये जीवन मे कई नये साथी,
.
.
लेकिन…..
.
.
“मुझे हर मोड़ पऱ तेरी कमी अब भी महसूस होती
है….!!
सज़दा कीजिये या मांगिये दुआये..
जो आपका है ही नही वो आपको मिलेगा भी नही..
जो दिल की गिरफ्त में हो जाता है,
मासूक के रहमों-करम पर हो जाता है,
किसी और की बात रास नहीं आती,
दिल कुछ ऐसा कम्बख्त हो जाता है,
मानता है बस दलीले उनकी,
ये कुछ यूँ बद हवास हो जाता है,
यार के दीदार में ऐसा मशगूल रहता है,
कि अपनी खैरियत भूल कर भी सो जाता है,
खुदा की नमाज भी भूल कर बैठा है,
कुछ इस कदर बद्सलूक हो जाता है,
जब दिल की गिरफ्त मे हो कोई,
जाने क्या से क्या हो जाता है…
छलका तो था कुछ इन आँखों से उस रोज़..!!
कुछ प्यार के कतऱे थे..कुछ दर्द़ के लम्हें थे….!!!!
आजाद कर देंगे तुम्हे अपनी चाहत की कैद से,
मगर, वो शख्स तो लाओ जो हमसे ज्यादा कदर करे तुम्हारी..
अपने ही साए में था, मैं शायद छुपा हुआ,
जब खुद ही हट गया, तो कही रास्ता मिला…..