रुह को शाद करें दिल को जो पुरनुर करें
हर नझारे में ये तनवीर कहां होती है |
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
रुह को शाद करें दिल को जो पुरनुर करें
हर नझारे में ये तनवीर कहां होती है |
पूराना क़र्ज़ चुकाने में ख़र्च कर डाली,
तमाम उम्र कमाने में ख़र्च कर डाली।
वो डोर जिससे हम आसमान छू सकते थे,
पतंग उड़ाने में ख़र्च कर डाली।
सोचा ही नहीं था ज़िन्दगी में ऐसे भी फ़साने होंगे,
रोना भी ज़रूरी होगा,आंसू भी छुपाने होंगे।
तफ़सील से तफ्तीश जब हुई मेरी गुमशुदगी की,
मैं टुकड़ा टुकड़ा बरामद हुई उनके ख्यालों में|
कहा सिर्फ उस ने इतना के ख़ामोशी है मुझे बहुत पसंद इतना सुनना था के हम ने अपनी धडकनें भी रोक ली|
मुझे समझाया न करो अब तो हो चुकी,
मोहब्बत मशवरा होती तो तुमसे पूछकर करते|
कुछ अधूरे एहसासों ने ही तो थामा है हर पल,
चाँद तो पूरा होके भी रात का न हुआ……
हर मर्ज़ का इलाज नहीं दवाखाने में…
कुछ दर्द चले जाते है सिर्फ मुस्कुराने में…!!!
मौत बेवज़ह बदनाम है साहब,
जां तो ज़िंदगी लिया करती है|
गुजर जाऊंगा यूँ ही किसी लम्हे की तरह,
और तुम….. औरो में ही उलझे रहना..!!