हालात हैं वक़्त है या फिर ख़ुदा,,,
ये रह रह के मुझे परखता है कौन…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
हालात हैं वक़्त है या फिर ख़ुदा,,,
ये रह रह के मुझे परखता है कौन…
मुझे क़बूल नहीं इश्क़ दूसरा हरगिज़,
मेरे बदन पर पुराना लिबास रहने दो…..!!
दिल के बाहर भी कुछ समंदर हैं,
थोड़े कम दर्द जिनके अन्दर हैं…!
रात ख़्वाब में, मैंने अपनी मौत देखी थी..
इतने रोने वालों में तुम नज़र नहीं आए…
मुझसे मोहब्बत पर मशवरा मांगते हैं लोग…
उसका इश्क़ कुछ इस तरह तजुर्बा दे गया मुझे…
कैसे बयान करुं सादगी मेरे महबूब की,
पर्दा हमी से था मगर नजर हम पर ही थी…
उसकी मोहब्बत ही तो है…
जो मेरी जिंदगी को खूबसुरत
बनाती है…
कुछ उनकी मजबूरियाँ…कुछ मेरी कश्मकश,
बस यूँ ही एक ख़ूबसूरत कहानी को…खत्म कर दिया हमने…
ये जो मेरे हालात हैं एक दिन सुधर जायेंगे
मगर तब तक कई लोग मेरे दिल से उतर जायेंगे
तुम आ के थाम लो ना मुझे…
सब ने छोर दिया है मुझे तुम्हारा समझ कर…