चले जाने दो

चले जाने दो उसे किसी ओर कि बाहों मे,
इतनी चाहत के बाद जो मेरा ना हुआ वो किसी ओर का क्या होगा।।

लगने दो आज महफ़िल

लगने दो आज महफ़िल, चलो आज
शायरी की जुबां बहते हैं
.
तुम उठा लाओ “ग़ालिब” की किताब,हम अपना
हाल-ए-दिल कहते हैं.|

बहुत रोये वो

बहुत रोये वो हमारे पास आके जब एहसास हुआ

अपनी गलती का,चुप तो करा देते हम,

अगर चहरे पे हमारे कफन ना होता.