उसी का शहर

उसी का शहर,
वही खुदा और वहीं के गवाह…
मुझे यकीन था,
कुसूर मेरा ही निकलेगा |

मुहँ खोलकर तो

मुहँ खोलकर तो हँस देता हूँ मैं हर किसी के साथ…..
लेकिन दिल खोलकर हंसे मुझे ज़माने गुज़र गए !!

एक पल में

एक पल में ले गयी मेरे सारे गम खरीद कर…
कितनी अमीर होती है ये बोतल शराब की…