उन्हे कोई और भी

उन्हे कोई और भी चाहे..

इस बात से हम थोङा- थोङा जलते हैं…!

ग़ुरुर है हमें इस बात पर..कि

सब हमारी पसंद पर ही क्यूँ मरते हैं|

बड़ा अरमान था

बड़ा अरमान था तेरे साथ जीवन बिताने का;
शिकवा है बस तेरे खामोश रह जाने का;
दीवानगी इससे बढ़कर और क्या होगी?
आज भी इंतज़ार है तेरे आने का!

तड़प के देखो

तड़प के देखो किसी की चाहत में;
तो पता चले कि इंतज़ार क्या होता है;
यूँ ही मिल जाये अगर कोई बिना तड़पे;
तो कैसे पता चले के प्यार क्या होता है|

न मेरा एक होगा

न मेरा एक होगा,
न तेरा लाख होगा,
न तारिफ तेरी होगी,
न मजाक मेरा होगा.
गुरुर न कर “शाह-ए-शरीर” का,
मेरा भी खाक होगा,
तेरा भी खाक होगा !!!