गुजर रहा था

गुजर रहा था तेरी गली से सोचा उन
खिड़कियों को सलाम कर लूँ…
जो कभी मुझे देख कर खुला करती
थी..

मेरी ज़िन्दगी की

टिकटें लेकर बैठें हैं मेरी ज़िन्दगी की कुछ लोग…….

साहेबान…….

तमाशा भी भरपूर होना चाहिए……
निमा की कलम से………..

किसी न किसी

किसी न किसी पे किसी को ऐतबार हो जाता है,
अजनबी कोई शख्स यार हो जाता है,
खूबियों से नहीं होती मोहब्बत सदा,
खामियों से भी अक्सर प्यार हो जाता है !!

हमारे इश्क की

हमारे इश्क की तो बस इतनी सी कहानी हैं:
तुम बिछड गए.. हम बिख़र गए..
तुम मिले नहीं.. और हम किसी और के हुए नही

हर एक शख्स

हर एक शख्स ख़फ़ा,मुझसे अंजुमन में था…
क्योंकि मेरे लब पे वही था,जो मेरे मन में था…