कौन कम्बख्त मोबाईल की परवा करता है?
यहाँ तो दिल हैंग हो गया है…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कौन कम्बख्त मोबाईल की परवा करता है?
यहाँ तो दिल हैंग हो गया है…
ना वो मिलती है ना में रुकता हु..
पता नहीं रास्ता गलत है या मंजिल
हक मिलता नही लिया जाता है ,
आज़ादी मिलती नही छिनी जाती है ,
नमन उन देश प्रेमियों को जो
देश की आज़ादी की जंग के लिये जाने जाते है .
मत लगाओ दांव पर जिंदगी को इस खेल में…
इस मुहब्बत में जीत की कोई गुंजाईश नही होती.!!
नफरत को हम प्यार देते है …..
प्यार पे खुशियाँ वार देते है …
बहुत सोच समझकर हमसे कोई वादा करना..
” ऐ दोस्त ” हम वादे पर जिदंगी गुजार देते है
ख्वाहिश ये बेशक नही कि “तारीफ” हर कोई करे…!
मगर “कोशिश” ये जरूर है कि कोई बुरा ना कहे..
तूफान दर्द का चला तो सवार जाऊंगा ,
मे तेरी जुल्फ नही जो यू बिखर जाऊंगा ,
यहा से उड़ूँगा तो ये ना पूछो के कहा जाऊंगा ,
मे तो दरिया हू दोस्तो समुंदर मे समा जाऊंगा .
आज मैं अकेला हूँ,
तो क्या हुआ दोस्तो..
एक दिन उसको भी मेरे बिना सब सुना सा लगेगा..
Ab tujse sikayat krna mere bas me nhi…
Tu chahat meri thi pr amanat sayad kisi or ki…!!!
किसी ने
ज़हर कहा है किसी ने शहद कहा
कोई समझ नहीं पाता है ज़ायका
मोहब्बत का