सोचा था इस कदर

सोचा था इस कदर उनको भूल जाएंगे,
देख कर भी उन्हें अनदेखा कर जायेंगे,
जब सामने आया उनका चेहरा, तो सोचा,
बस इस बार देख लें, अगली बार भूल जाएंगे…..

लफ्ज़ वही हैं

लफ्ज़ वही हैं , माने बदल गये हैं
किरदार वही ,अफ़साने बदल गये हैं
उलझी ज़िन्दगी को सुलझाते सुलझाते
ज़िन्दगी जीने के बहाने बदल गये हैं..

जिस शहर में

जिस शहर में तुम्हे मकान कम और शमशान ज्यादा मिले…

समझ लेना वहा किसी ने हम से आँख मिलाने की गलती की थी….!!