साजन की आँखो मे छुप कर जब झाँका,बिन होली खेले ही सजनी भीग गयी
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पढ़ने वालों की कमी
पढ़ने वालों की कमी हो गयी है आज इस ज़माने में,नहीं तो गिरता हुआ एक-एक आँसू पूरी किताब है!!
तारीफ़ करने वाले
तारीफ़ करने वाले बेशक आपको पहचानते होंगे,
मगर फ़िक्र करने वालो को आपको ही पहचानना होगा
बगैर आवाज़ के..
कितना भी सम्भाल के रख लो दिल को फिर भी,
टूट ही जाता है और वो भी बगैर आवाज़ के..
एक युग था
एक युग था आँसूओं से मैल धो लेते थे सब…
अब जरा सी बात पर खंज़र भी है, पत्थर भी है..
खत की खुशबु
खत की खुशबु बता रही है….
लिखते वख्त उनके बाल खुले थे…
परछाई बनने मे नही है..!!
जो आनंद अपनी
छोटी पहचान बनाने मे है,
वो किसी बड़े की
परछाई बनने मे नही है..!!
मकड़ी भी नहीं फँसती
मकड़ी भी नहीं फँसती, अपने बनाये जालों में।
जितना आदमी उलझा है, अपने बुने ख़यालों में…।।
कुछ लोग दिखावे की
कुछ लोग दिखावे की, फ़क़त शान रखते हैं,
तलवार रखें या न रखें, म्यान रखते है!
ज़मीन से ही नज़र आता है
आसमान जो इतना बुलंदी पर इतराता है,
भूल जाता है ज़मीन से ही नज़र आता है।