जब मिलोगे किसी और से तो मान जाओगे,
अगर अच्छे नहीं थे तो बुरे भी नहीं थे हम|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
जब मिलोगे किसी और से तो मान जाओगे,
अगर अच्छे नहीं थे तो बुरे भी नहीं थे हम|
बस आज के दिन उनका इंतजार कर लूँ,
इसी सोच में तमाम उम्र गुजार दी मैंने !!
बदन इतना महंगा भी न कर लीजिये हुजूर
रूह तड़प उठे की घर बदलना है..
एक ख्वाहिश जली बुझी सी..
फिर खाक हुई आहिस्ता-आहिस्ता..!
ज़िंदगी आगे भाग रही है और वक़्त पीछे छूट जा रहा है,
और साथ ही छूट रहा है हर वो हक़
तुम्हें याद करने का,
तुम्हें सोचने का,
तुम्हें जीने का!
दुनिया चाहती है हम तुम्हें याद न करें,
तुम्हारा नाम न लें,
सही कहते हैं…
आख़िर चाहती तो तुम भी यही थी!”
ये इनायतें ग़ज़ब की ,
ये बला की मेहरबानी,
मेरी ख़ैरियत भी पूछी,
किसी और की ज़ुबानी….
काश कोई हम पर भी
इतना प्यार जताती
पिछे से आकर वो
हमारी आंखो को छुपाती
हम पुछते कौन हो तुम?
और वो हस कर खुद को हमारी जान बताती|
बस तुम कोई उम्मीद दिला दो मुलाकात की ,
फिर इन्तजार तो हम सारी उम्र कर लेंगें|
ये अलग बात है कि वो ही न समझे हमको….
हमने जिनसे दिल से नही ,,रूह से मोहब्बत की थी।
जहा कोशिशों की ऊँचाई अधिक होती है….
वहा किस्मत को भी झुकना पड़ता है ।