दो गज से ज़रा

दो गज से ज़रा ज़्यादा जगह देना कब्र में
मुझे….

कि किसी की याद में करवट बदले बिना मुझे
नींद नहीं आती…..

बड़ी हसरत से

बड़ी हसरत से सर पटक पटक के गुजर गई, कल शाम मेरे शहर से आंधी ।
वो पेड़ आज भी मुस्कुरा रहें हैं, जिनमे हुनर था थोडा झुक जाने का ।

वो रोए तो बहुत पर

वो रोए तो बहुत पर मुझसे मुंह मोड़कर रोए;
कोई मजबूरी होगी तो दिल तोड़कर रोए;
मेरे सामने कर दिए मेरे तस्वीर के टुकड़े;
पता चला मेरे पीछे वो उन्हें जोड़कर रोए!

उसको चाहा पर

उसको चाहा पर इज़हार करना नहीं आया;
कट गई उम्र हमें प्यार करना नहीं आया;
उसने कुछ माँगा भी तो मांगी जुदाई
और हमें इंकार करना नहीं आया।

जिसने हमको चाहा

जिसने हमको चाहा, उसे हम चाह न सके;
जिसको चाहा उसे हम पा न सके;
यह समझ लो दिल टूटने का खेल है;
किसी का तोडा और अपना बचा न सके।

जा रहा हूँ

जा रहा हूँ तेरा शहर छोडकर लेकिन इतना जरुर कहूँगा
तुम ही थे इस दिल में तुम ही धड्कोगे मेरी इन धडकनों में…!!