सारे शोर महफ़िल के दब गए तेरी पाज़ेब की रुनझुन से””!!
इक तेरा आना महफ़िल में सारे हंगामों पे भारी हो गया
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
सारे शोर महफ़िल के दब गए तेरी पाज़ेब की रुनझुन से””!!
इक तेरा आना महफ़िल में सारे हंगामों पे भारी हो गया
आओ एक बार साथ मुस्कुरा लें….
फिर ना जाने ज़िन्दगी कहाँ ले जाये …!!!
मेरी बेजुबां आँखों से गिरे हैं चंद कतरे…
वो समझ सके तो आँसू ,ना समझ सके तो पानी|
मुहब्बत उठ गयी दोनों घरों से….!!
सुना है एक ख़त पकड़ा गया है….!!
सफ़र शुरू कर दिया है मैंने,
बहोत जल्द तुमसे दूर चला जाऊँगा|
मेरी नज़र में तो सिर्फ तुम हो, कुछ और मुझको पता नहीं है तुम्हारी महेफिल से उठ रहा हूँ, मगर कहीं रास्ता नहीं है|
बहुत अन्दर तक तबाही मचाता है…..
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वो आंसू जो आँखों से ‘बह’ नहीं पाता है ….!!!
लड़ के थक चुकी हैं जुल्फ़ें तेरी छूके उन्हें आराम दे दो,
क़दम हवाओं के भी तेरे गेसुओं से उलझ कर लड़खड़ाने लगे हैं!
मेरी आवाज़ ही पर्दा है ..मेरे चेहरे का
मैं हूँ ख़ामोश जहाँ, मुझको वहाँ से सुनिए!
ना नूर थे ना रंग फिर भी दिल ये कायल,इस मोहब्त का क्या पता क्या सोचकर हो जाये…….