अंधों को दर्पण क्या देना, बहरों को भजन सुनाना क्या.?
जो रक्त पान करते उनको, गंगा का नीर पिलाना क्या.?
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मुस्कुराने पे शुरू हो
मुस्कुराने पे शुरू हो और रुलाने पे ख़त्म हो जाए,ये वही ज़ुल्म है जिसे लोग, मोहब्बत कहते हैं……
लंबी बातों से
लंबी बातों से मुझे कोई मतलब नहीं है,मुझको तो उनका जी कहना भी कमाल लगता है|
सस्ता सा कोई
सस्ता सा कोई इलाज़ बता दो इस मोह्ब्बत का ..!
एक गरीब इश्क़ कर बैठा है इस महंगाई के दौर मैं….
क्या पूछता है
क्या पूछता है हम से तू ऐ शोख़ सितमगर,
जो तू ने किए हम पे सितम कह नहीं सकते…
बहुत बदल गया हूँ
क्या है जो बदल गई है दुनिया
मैं भी तो बहुत बदल गया हूँ|
ना हुस्न ढला है
ना हुस्न ढला है ना इश्क़ बिका है
लोगो का बस थोड़ा जमीर गिरा है|
मैंने छोड़ दिया…
थोड़ी सी खुद्दारी भी लाज़मी थी…
उसने हाथ छुड़ाया,मैंने छोड़ दिया…
ज़िन्दगी के हिसाब किताब
ज़िन्दगी के हिसाब किताब भी बड़े अजीब थे
जब तक हम अज़नबी थे, ज्यादा करीब थे….
मोहब्बत की किताब
कैसे लिखोगे मोहब्बत की किताब
तुम तो करने लगे पल पल का हिसाब|