पता है तुम्हारी

पता है तुम्हारी और मेरी,
मुस्कान मे क्या फर्क है ,
तुम खुस होकर मुस्कुराते हो,
हम तुम्हे खुस देखकर मुस्कुराते है..

मरीज़-ए-इश्क़

मरीज़-ए-इश्क़ हूँ तेरा, तेरा दीदार काफी है….
हर एक नुस्खे से बेहतर, निगाह-ए-यार काफी है !

कभी मिल सको

कभी मिल सको तो इन पंछियो की तरह बेवजह मिलना,
वजह से मिलने वाले तो न जाने हर रोज़ कितने मिलते है !!

जिस घर में

जिस घर में प्रेम होता हैं
उस घर में
सफलता और धन चलकर
आते है
अपना ग्रुप भी एक घर हैं, प्रेम बनाये रखे|