कुछ खामोशियाँ भेज रहा हूँ…
हो सके तो, कुछ अल्फ़ाज़ भर देना!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कुछ खामोशियाँ भेज रहा हूँ…
हो सके तो, कुछ अल्फ़ाज़ भर देना!!
शिद्दत ए चाहत का तकाज़ा देख
होके दूर भी वो मेरे पास रहता है|
कमबख़्त हर नशा उतरते देखा वक़्त के साथ…
ज़रा बताओ तो किस चीज़ की बनी हो तुम …
बेपरवाह हो जाते है अक्सर वो लोग…
जिन्हे कोई बहुत प्यार करने लगता है …
अगर कुछ भी नहीं है हमारे दरमियान,
तो ये लंबी ख़ामोशी क्यों है ??
बड़ा मुश्किल है..जज़्बातो को पन्नो पर उतारना..
हर दर्द महसूस करना पड़ता है..लिखने से पहले..
यूँ ही गुजर जाती है शाम अंजुमन में,
कुछ तेरी आँखों के बहाने कुछ तेरी बातो के बहाने!
तुम्हारी बेरुख़ी ने लाज रख ली बादाख़ाने की,
तुम आँखों से पिला देते तो पैमाने कहाँ जाते !!
लगी है मेहंदी पावँ में क्या घूमोगे गावं मे…
असर धूप का क्या जाने जो रहते है छावं मे…!!
करलो एक बार याद मुझको….
हिचकियाँ आए भी ज़माना हो गया