कल के पन्ने खाली रह गए, जो आज लिखा जा रहा है,
पता नहीं! कोरा कागज न छूट जाए।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कल के पन्ने खाली रह गए, जो आज लिखा जा रहा है,
पता नहीं! कोरा कागज न छूट जाए।
काफी दिनों से,
कोई नया जख्म नहीं मिला;
पता तो करो..
“अपने” हैं कहां ?
अलविदा कहने में उसने जिंदगी का एक पल खोया….
हमने एक पल में पूरी जिंदगी खो दी|
न ख़ुशी अच्छी है ऐ दिल, न मलाल अच्छा है,
यार जिस हाल में रखे, वही हाल अच्छा है।
बस मुस्करा दो, तबियत ख़ुश हो जाती है मेरी;
सारे शहर में ढूँढ लिया, हकीम तुम सा नहीं
कुछ न कुछ तो है उदासी का सबब…
अब मान भी जाओ की याद आते है..हम…
आँखे तक निचोड़ कर पी गए…
तेरे गम भी न, कितने प्यासे थे…
जो उनकी आँखों से बयां होते हैं,
वो लफ्ज़ शायरी में कहाँ होते हैं।
बहुत अलग सा है मेरे दिल का हाल;
एक तेरी ख़ामोशी और मेरे लाखों सवाल!
भरोसे कितने भी टूट जाये,
मगर भरोसे की आदत नहीं ।